कैंसर में कारगर हो सकती है नई श्रेणी की दवा

कैंसर में कारगर हो सकती है नई श्रेणी की दवा

सेहतराग टीम

कैंसर यानी एक ऐसी बीमारी जिसके मरीज आमतौर पर बीमारी का पता चलते ही हिम्‍मत हार देते हैं। हालांकि आधुनिक चिकि‍त्‍सा विज्ञान ने इस भयानक बीमारी पर कुछ हद तक काबू पाने का दावा करना शुरू कर दिया है। इसके बावजूद कई बार बीमारी इतनी बढ़ जाती है कि वर्तमान उपचारों को लेकर कैंसर कोशिकाओं में प्रतिरोध की क्षमता विकस‍ित हो जाती है। मगर अब शोधकर्ताओं ने एक नई श्रेणी की दवा की खोज करने का दावा किया है जो उन कैंसर मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है जिनमें वर्तमान उपचारों को लेकर प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो गई है।

यह दवा अभी कुछ वर्षों तक मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हो सकेगी लेकिन ब्रिटेन में इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि इसके क्लीनिकल ट्रायल सफल रहते हैं तो इसका इस्तेमाल विभिन्न उपचार - रोधी कैंसरों से निबटने में किया जा सकता है। 

मसलन स्तन कैंसर के मरीज वर्तमान हार्मोन आधारित उपचारों को लेकर प्रतिरोधी हो जाते हैं जिससे यह रोग जानलेवा बन जाता है। लंदन के इंपेरियल कॉलेज के प्रोफेसर चार्ल्स कूम्बेस ने कहा, ‘उपचार रोधी ट्यूमर मरीजों के लिए घातक होते हैं क्योंकि एक बार कैंसर पर उपचार का प्रभाव होना बंद हो जाता है तो हमारे हाथ में करने को ज्यादा कुछ नहीं रहता।’

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की दवाएं मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो सकती हैं, यह उन मरीजों के लिए एक नया विकल्प हो सकता है जिन पर वर्तमान का कोई उपचार काम नहीं कर रहा हो।’ 

जर्नल मॉलीक्यूलर कैंसर थैराप्यूटिक्स में प्रकाशित शोध के परिणामों के मुताबिक प्रतिरोध स्तन कैंसर के उपचार में आईसीईसी 0942 के प्रयोगशाला के शुरुआती परीक्षण सफल रहे हैं और इसके दुष्प्रभाव भी न्यूनतम होंगे। 

केरिक थेराप्यूटिक्स ने आईसीईसी 0942 को सीटी 7001 नाम से विकसित किया और दो वर्ष से भी कम समय में शुरुआती स्तर का क्लीनिकल ट्रायल किया। यह दवा सीडीके 7 नाम के एन्जाइम पर हमला करती है। आईसीईसी 0942 कैंसर के फैलने की क्षमता को रोक देती है। 

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